प्रकृति ने प्रत्येक प्राणी को ऊर्जा पर्याप्त मात्रा मे प्रदान की है।

 हमारे शरीर मे भी ऊर्जा का भण्डार है।

यह ऊर्जा हमे मौसम के कुप्रभाव से तथा रोगों से बचाती है।

क्या आप जानते है कि प्राचीन समय मे लोगो की लम्बी व स्वस्थ आयु होती थी

कई ऋषि-मुनियों की आयु तो सैकङों वर्ष की रही है।

आज के समय मे भी आप को कुछ साधु सन्यासी मिल जायेगे जो प्रत्येक मौसम मे कम वस्त्र पहनते है

 योगी मिल जायेगे जो प्रत्येक मौसम मे या तो कम वस्त्र पहनते है या बिलकुल नही पहनते।

वे मौसम से अप्रभावित रहते है। इसका कारण ऊर्जा ही है।

उनकी ऊर्जा जागृत अवस्था मे होती है।

 प्रकृति ने यह ऊर्जा सभी को प्रदान की है। लेकिन साधारणतया यह सुप्त अवस्था मे रहती है

इस ऊर्जा को योग द्वारा जागृत व संरक्षित किया जा सकता है।

योग ऊर्जा को कैसे संरक्षित करता है, पूरी जानकारी के लिये इस लेख का अवलोकन करें